07, Jul 2022

सूर्य क्यों प्रताड़ित करता है ?

सूर्य संपूर्ण जगत अंक पिता एवं आत्मकारक गृह है | सूर्य अपने प्रकाश से संपूर्ण विश्व को प्रकाशित करता है | सूर्य के प्रकाश के कारण ही वृक्ष, फल, फूल, औषधि , वनस्पति आदि की उत्पति होती है क्योंकि ये सब सूर्य की ही किरणों से उष्णता लेकर अंकुरित होते है | संसार में जितने भी जीव है वे सूर्य के प्रकाश से ही  अपनी जीवन शक्ति प्राप्त करते हैं | स्वयं नारायण ही सूर्य का रूप धारण कर त्रिलोक को प्रकाशित कर, पालन करते हैं | सूर्य की किरणों द्वारा ही व्यक्ति को  चेतना शक्ति और देखने की शक्ति प्राप्त होती है |

संसार में हर प्राणी अपने किये गये कर्मों के हिसाब से सुख व दुःख भोगता है | कई बार मनुष्य को पूर्व में किये गये शुभ कर्मों व देव कृपा के कारण धन-धन्य ,समृद्धि , वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति सुगमता से हो जाती है और दिन-प्रतिदिन उसका ऐश्वर्य बदता जाता है और व धन के वशीभूत होकर सूर्य के प्रकाश में अति निंदनीय कार्य करना आरंभ कर देता है | मनुष्य अपने धन की वृद्धि के लिए कई प्रकार के अनुचित कर्म कर डालता है | सूर्य की कृपा से प्राप्त हुए प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए समाज में लोगों का शोषण करता है | समाज, कुल , परिवार किसी की नहीं सुनता है और अहंकार में चूर होकर अपने को ईश्वर मानने लगता है | ऐसे व्यक्तियों से सूर्यदेव अपनी दशा-अन्तर्दशा में ऐश्वर्य को छीन कर व्यक्ति को दंडित करते है |

सूर्य पिता का कारक है | जो व्यक्ति सफलता मिलने के बाद अपने माता-पिता को भूल जाता है या जो व्यक्ति अपने माता-पिता का अनादर करता है, सूर्यदेव ऐसे व्यक्ति को जरूर ही अपनी दशा-अन्तर्दशा में कष्ट देते है |   

यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ स्थिति में है तो मान लीजिये की आपने पिछले जन्म में सूर्य द्वारा दी गई शक्तियों का दुरुपयोग किया है | ऐसे में जातक को भगवान सूर्य से अपने द्वारा जाने-अनजाने में की गई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए व सूर्य के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए: ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः |