07, Jul 2022

मंगल-राहु की युति और वर्तमान परिवेश - राष्ट्र में शांति कब तक ?

मंगल और राहु की युति को ज्योतिष शास्त्रों में अंगारक योग का नाम दिया गया है। वैदिक ज्योतिष में मंगल अग्नि, क्रोध, आवेश, हिंसा और मार-पीट के कारक के रुप में जाना जाता है। यह ग्रह जब राहु के साथ स्थित होता है तो इसकी हिंसात्मक शक्तियों में और भी वृद्धि हो जाती है। इसके अतिरिक्त राहु को विधर्मियों का स्थान दिया गया है। जब भी गोचर में ये दोनों ग्रह एक साथ होते हैं तो विघटनकारी शक्तियां और कट्टरवादी विधर्मी पहले से अधिक उत्पात मचाने लगते हैं, राष्ट्र और समाज को तोड्ने,  देश में दंगे फैलाने कि साजिशें सफल होने लगती है। इस युति के विपरीत प्रभाव का फल आमजन को झेलना पड़ता है। 22 जून 2022 से गोचर में यह योग बना हुआ है। और वर्तमान समय में इसका असर देखा जा सकता है। इसी के कारण देश के विभिन्न भागों में मारपीट, धमकी, गला रेतने और जान से मारने की घटनायें अचानक से बढ़ गई है।

विधार्मियों का यह उत्पात दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। राहु-मंगल की युति का दुष्प्रभाव वर्तमान काल में अपने चरम पर है। 10 अगस्त 2022 तक यह युति देश में अशांति और अविश्वास का भाव बनाए रखेगी। इस समय सूर्य मिथुन राशि में शत्रु राशि, शत्रु ग्रह बुध के साथ है,  परिणाम यह है कि इन शक्तियों से निपटने के लिए सरकार में जो कठोरता होनी चाहिए, वह कठोरता सरकार प्रयोग नहीं कर रही हैं। इससे अलगावादी सोच के होंसलें बढ़े हुए हैं, नुकसान जनता को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा हैं। इंडिया की कुंडली वॄषभ लग्न की है, 7 जुलाई 2022 का गोचर देखें तो लग्नेश शुक्र स्वराशि के होकर लग्न में गोचर कर रहे हैं, इससे देश सुरक्षित रहेगा, द्वादश भाव में राहु-मंगल की युति अंगारक योग बना रही हैं, द्वादश भाव व्यय भाव होने के साथ साथ जनहानि का भाव भी है, दो अशुभ ग्रहों की युति बारहवें भाव में नुकसान के योग बना रही हैं, यहां से राहु नवम दॄष्टि से अष्ट्म भाव को सक्रिय कर रहे हैं, जिसके फलस्वरुप छुप कर घात हो रहे हैं, मंगल यहां स्वराशि के हैं इसलिए राष्ट्रविरोधियों का साहस वर्तमान में बढ़ा हुआ है। देव गुरु बॄहस्पति भी मीन राशि में गोचर कर रहें हैं, जो उनकी स्वयं की राशि है। उनका प्रभाव लग्न, लग्नेश पर न होने के कारण इस स्थिति को वो भी नियंत्रित करने में असफ़ल हो रहे हैं। न्याय और दंडकारक ग्रह शनि वक्री अवस्था में कुम्भ राशि में गोचरस्थ है। मकर राशि की और गोचरस्थ होने के कारण न्याय व्यवस्था अपना काम सुचारु रुप से करने में असमर्थ है।

शुक्र, मंगल, गुरु और शनि चार बड़े ग्रहों का अपनी अपनी स्वराशियों में गोचर करने का परिणाम यह है कि राष्ट्र में हालात गंभीर हैं परन्तु स्थिति नियंत्रण में हैं, 10 जुलाई 2022 को जब मंगल राहु की युति से बाहर आयेंगे तो देश के हालात फिर से ठीक हो जायेंगे और स्थिति शांतिपूर्ण हो जायेंगी, तब तक धैर्य और सावधानी की आवश्यकता है। 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में अपनी मकर राशि में वापसी करने जा रहे हैं,  वक्र अवस्था में शनि का यह गोचर देश की कानूनी व्यवस्था और उसके फैसलों पर सवाल उठायेगा। न्याय व्यवस्था एक बार फिर से सवालों के घेरे में खड़ी नजर आयेगी। इंडिया की कुंड्ली में मकर राशि नवम भाव की राशि हैं और नवम भाव धार्मिक स्थलों और न्याय का भाव होने के कारण इस अवधि में धार्मिक स्थलों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैसलें भी लिये जाने के प्रबल योग बन रहे हैं।

वर्ष 2022 अशुभ ग्रह योगों के कारण विस्फोट्क घटनाओं के लिए विशेष रूप से जाना जा सकता है। मेष का मंगल सीमा क्षेत्रों पर सैनिकों की हानि का संकेत भी देता है। राहु को नियंत्रित करने के लिए केतु ग्रह अंकुश का कार्य करता है। राहु हाथी है तो केतु अंकुश है। राहु जब गोचर में अकेले होते हैं तो उन्हें सहजता के साथ  केतु अपने अंकुश से नियंत्रित कर लेते हैं, परन्तु जब राहु-शनि या मंगल के साथ होते हैं तो राहु की विघटनकारी शक्तियां बढ़ जाती है, ऐसे में केतु उसे पूर्ण रूप से नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, परिणाम यह होता है, कि राहु अपना काम करने में सफल हो जाता है, इसलिए आज के समय में स्लिपर सेल अचानक से सक्रिय हो गया है। राहु और मंगल की युति के कारण आज देश और विदेश सभी जगह उथल-पुथल मची हुई है। सबसे अधिक बुरा समय वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए बना हुआ है।

वक्री शनि इंडिया की कुंडली के चतुर्थ भाव पर अपनी सप्तम दृष्टि दे रहे हैं यह प्रभाव आम जनों के लिए अशुभ और कष्टकारी बना हुआ है। रुचक योग का मंगल राहु के साथ मिलकर साजिश और षड़यंत्र रच रहा है, और सफल भी हो रहा है, चतुर्थ भाव जिसे आमजन का भाव भी कहा जाता है, वहां पर राहु की पंचम दॄष्टि भी आ रही है, ऐसे में आमजन राहु नाम के विधर्मियों और शनि दोनों की मार झेल रहा है। मंगल यहां सैंन्य बल, पुलिस बल, चक्रवात और उठापटक के योग बना रहा हैं। अगले एक साल तीन माह तक राहु मेष राशि में गोचर करेंगे, ऐसे में ये इंडिया की कुंडली के आठवें भाव को अपनी नवम दॄष्टि से सक्रिय करे रहेंगे, इसका प्रभाव यह होगा कि राजनीति में अप्रत्याशित बदलाव सबको हैरान करते रहेंगे।