09, Jul 2022

सप्तम भाव स्त्री विचार

यह तन्हाई का आलम पूछो मेरे दिल से तनहा तनहा लौटा हूं मैं तो भरी महफिल से

जी हां ऐसे कौन से हालात आ गए जो भरी महफिल से तन्हाइयों में लौटना पड़ा तो देखिए उन्हीं हालातों के बारे में यह श्लोक क्या कहता है

लगने द्यूने द्वादशे पापखेटाः क्षीणे चन्दाधिस्तिथे वा खल ग्रहाणां राशि स्थितः
पत्नी  हीनों मानवःस्यात् नितान्तं पुत्रै:हीनश्चेति वै चिन्तनियम्

यदि पाप ग्रह लग्न सप्तम या द्वादश स्थान में बैठे हो और कमजोर चंद्रमा पांचवें भाव में हो या पाप ग्रह की राशि में हो तो मनुष्य नितांत स्त्री ही और पुत्रों से रहित होता है इस प्रकार विचार किया जाना चाहिए

अब सप्तम भाव की बात तो ठीक है पापी ग्रहों से पीड़ित होने पर विवाह आदि में  परेशानी होगी क्योंकि सप्तम भाव गीत विवाह का मुख्य भाव है

लेकिन पंचम और द्वादश भाव तथा चंद्रमा का क्या रोल आ गया बीच में

लेकिन ध्यान रखिए पंचम भाव ही प्रेम का भाव होता है पंचम भाव ही संतान का भाव होता है चंद्रमा प्रेम का नैसर्गिक कारक है अब जब कमजोर चंद्रमा पंचम भाव में बैठेगा तो पंचम भाव को भी पीड़ित करेगा और खुद तो पहले से कमजोर है ही फिर विवाह का मुख्य उद्देश्य तो होता ही संतान और प्रेम है वह वह कैसा जिसमें संतान ना हो या प्रेम की कल्पना ना हो क्योंकि प्रेम और संतान दोनों के लिए एक सामाजिक संस्था बनाई गई है जिसको विवाह नाम दिया गया है

इसलिए यहां  पंचम भाव चंद्रमा दोनों का ही महत्वपूर्ण रोल है फिर बात आती है द्वादश भाव की द्वादश भाव आखिर यहां क्या करेगा द्वादश भाव तो खर्च का होता है नुकसान का होता है जेल यात्रा का भी होता है,

फिर द्वादश भाव में पापी ग्रहों का बैठना क्यों कर भला वैवाहिक जीवन को परेशान कर सकता है इसलिए कर सकता है क्योंकि द्वादश भाव शय्या  सुख का भाव भी होता है शय्या सुख के  पीड़ित होने पर रतिक्रीड़ा के बाधित होने पर विवाह का बाधित होना बिल्कुल स्वभाविक बात है

इसलिए विवाह सही तरीके से अच्छी प्रकार से चले स्त्री का सुख अच्छी तरह मिले इसके लिए द्वादश भाव और द्वादश लोड दोनों का ही अच्छी स्थिति में होना जरूरी है द्वादश लोड की बात यहां इसलिए जोड़ी गई क्योंकि भावेश के पीड़ित होने का असर भाव पर तो पड़ता ही है