12, Jul 2022

सावन माह 2022 कब से शुरु होने वाला है? अपनी राशि के अनुसार कैसे भगवान शिव को प्रसन्न करें –

 श्रावण माह भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय माह है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह का अपना खास महत्व है। वर्ष 2022 में श्रावण मास 14 जुलाई से शुरु हो रहा है और इसका प्रथम सोमवार 18 जुलाई को है। यह माह 12 अगस्त तक रहेगा। इस वर्ष श्रावन मास में चार सोमवार रहेंगे।  प्रथम 18 जुलाई को, द्वितीय 25 जुलाई को,  तृतीय 1 अगस्त को,  चतुर्थ 8 अगस्त को।  एक प्रकार सावन माह में सोमवार के व्रत का पालन करने वालों के लिए 18 जुलाई से लेकर 8 अगस्त तक के मध्य की अवधि बहुत खास रहने वाली है। इन चार सोमवारों को व्रत कर महिला, पुरुष और सभी आयु के व्यक्ति लाभ उठा सकते है। सावन व्रतों की यह विशेषता है कि इन व्रतों को किसी भी आयु वर्ग के लोग कर सकते है।

इस माह में व्रत, तप, मंत्र जाप, अनुष्ठान, जलाभिषेक करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है।  यह मान्यता है कि ऐसा करने पर भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनायें शीघ्र पूर्ण करते हैं।  भगवान शिव को लोग अलग अलग तरह से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। भगवान भोले नाथ बहुत भोले हैं, वो अपने भक्तों के द्वारा एक बेल पत्र चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं।  भगवान भोले नाथ के भक्त यह तो जानते ही है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र, दूध और जल आदि अर्पित करने से शिवलिंग पूजन किया जाता है, यह सब करते समय भक्त को मन सदैव निर्मल रखना चाहिए।  मन में किसी भी प्रकार का दोष भगवान शिव स्वीकार नहीं करते हैं।

सावन व्रत, उपवास और अभिषेक कर साधक भगवान शिव को प्रसन्न करते है। विवाह योग्य कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए सावन के व्रत करती हैं तो विवाहित महिलायें, सौभाग्यवती बने रहने के लिए इन व्रतों का पालन करती है। सावन माह एक महोत्सव के रूप में संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  

इस व्रत को प्रारम्भ कहां से हुआ?  इसे लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि देवी पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सबसे पहले यह व्रत किये थे। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामनाएं पूरी की थी। इस माह में भगवान शिव अपनी भार्या से एक लम्बे समय के बाद फिर से मिले थे। इस विषय में एक अन्य मान्यता है कि इस माह में भगवान शिव अपने ससुराल पर भ्रमण करने के लिए आए थे। जहां पर उनके स्वागत के रूप में उनका जलाभिषेक किया गया था।  

यह भी कहा जाता है कि इसी माह में स्मुद्र मंथन की घटना भी हुई थी और इसी माह में भगवान शिव ने हलाहल का पान किया था। विष के प्रभाव को शांत करने के लिए भगवान शिव के भक्त इस माह में शिवलिंग और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।   

आषाढ़ी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, ऐसे में जगत के कार्यभार की जिम्मेदारी भगवान शिव पर आ जाती है। संपूर्ण सॄष्टि को इस अवधि में भगवान शिव संभालते है। इसलिए भक्त अपने प्रभू को अलग अलग प्रकार से प्रसन्न करने का प्रयास करते है।   

सावन माह में जितना महत्व व्रत व उपवास का हैं, उतना ही महत्व कांवड यात्रा का भी है। कांवर यात्रा में भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर लाते हैं तो अपने निकट के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा बहुत कठिन और दुर्गम मार्गों से होते हुए की जाती है। नंगे पैर लगातार बम, बम बोले का जयकारा लगाते हुए, चलते रहना और तन, मन को स्वच्छ रखते हुए यह यात्रा की जाती है। सात्विक रहते हुए, इस कांवड यात्रा को एक साधना से कम नहीं समझा जाता। एक पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले यह यात्रा रावण ने की थी।

इस माह में सात्विक भोजन किया जाता है, सदाचार का पालन और नैतिक जीवन इस माह के विशेष नियम है। भागवत कथा का वाचन, सुंदर कांड या अन्य धार्मिक कथाओं का श्रवन शुभ माना जाता है। इसी माह में अनेक ज्योतिर्लिगों की रथयात्रा निकलती है।

सावन माह में अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव की कैसे पूजन करें ?

मेष राशि
मेष राशि के व्यक्तियों को श्रावण माह में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए  भगवान शिव को पंचामॄत अर्पित करना चाहिए।  मन की शुद्धता का इस पूजन में विशेष ध्यान रखें।  

वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातक भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए दही और सुगंधित फूलों से शिव परिवार का पूजन करना चाहिए। इस प्रकार भगवान शिव को इस राशि के लोग जल्द प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।  

मिथुन राशि
मिथुन राशि बुध के स्वामित्व की राशि है, और मिथुन राशि वाले व्यक्ति यदि भगवान शिव को खुश कर, अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं तो उन्हें लौकी के रस और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।   

कर्क राशि
कर्क राशि चंद्रमा की राशि है, चंद्र जो रोज घटते बढ़ते हैं। जिन्हें भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया है। यही कारण है कि कर्क राशि वालों की पूजा भगवान शिव सबसे जल्द स्वीकार करते हैं। इस राशि के लोग भगवान शिव को श्रावन माह में कच्चे दूध में जल मिलाकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए, शिवलिंग पर इस जल से जलाभिषेक करें। भगवान शिव जल्द प्रसन्न होंगे और सभी इच्छाएं भी पूरी होंगी।  

सिंह राशि
गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक कर सिंह राशि के व्यक्ति श्रावण माह में भगवान शिव को खुश कर सकते हैं।  

कन्या राशि
कन्या राशि भी बुध ग्रह के स्वामित्व की राशि है। इस राशि के जातक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए श्रावन मास में बेल पत्र, भांग, धतूरा शिवलिंग पर अर्पित करें। यह वस्तुयें अर्पित करते समय श्रद्धा और विश्वास बनाए रखे।  

तुला राशि
गाए के दूध में घी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव अपने साधक की मनोकामनायें पूर्ण करते है।  तुला राशि के जातक इस प्रकार भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।  

वृश्चिक राशि
अनार के जूस से शिवलिंग का अभिषेक करना इस राशि के लोगों के लिए शुभ फलदायक रहता है।  

धनु राशि
धनु राशि के व्यक्तियों को गंगाजल में केसर मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इससे इनका जीवन सुखमय होगा।  
 
मकर राशि
जल में काले तिल मिलाकर श्रावन माह में शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। मकर राशि वालों के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने का यह एक सरल मार्ग है।  

कुम्भ राशि
कुम्भ राशि के व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा जल में गुलाब जल मिलाकर शिव पूजन करें।  

मीन राशि
संतरे के जल से शिव्लैंग का जलाभिषेक कर, मीन राशि के व्यक्ति भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं।