19, Jul 2022

श्रीलंका के आर्थिक दिवालियेपन का ज्योतिषीय विश्लेषण - कब तक और क्यों?

पूर्व कई माह से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चरमरा कर ढह गई है। प्रधामंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तेफे के बाद, श्रीलंका के राष्टपति गोताबाया भी 13 जुलाई को देश छोडकर भाग चुके है। साथ ही उन्होंने अपना इस्तीफा भी दे दिया है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था धरात्ल पर आ गई है। वहां की जनता इंधन, भोजन और पेट्रोल की कमी का सामना कर रही है। सरकार ने आपातकाल की स्थिति लागू कर दी। देश से गोटबाया की उड़ान सरकार को और अधिक असमंजस में छोड़ गई है। श्रीलंका इस स्थिति में कैसे पहुंचा और यह स्थिति कब तक रहने वाली है। आज हम इस आलेख के माध्यम से इस बात का विश्लेषण करेंगे। जो हुआ वह क्यों हुआ और यह कब तक रहने वाला है। इस बारे में श्रीलंका की कुंडली क्या कहती है?  आईये सबसे पहले इसके राजनैतिक कारणों पर विचार करते हैं-

1948 से ही श्रीलंका बहुत खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बहुत बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद लेना और उच्च पद पर आसीन लोगों के द्वारा कुप्रबंधन ने इसे बढ़ावा दिया। गलत  बजट, घाटे,  अति मुद्रास्फीति, , अवमूल्यन मुद्रा और  विशाल  ऋण के कारण ऐसा हुआ है। चीन से कर्ज लेकर श्रीलंका ने अपने पैरों पर स्वयं कुलाह्डी मारी है। निर्यात और आयात की गलत नीतियां। पर्यट्न उद्दोग का ढप्प होना। आर्थिक ब्लास्ट के ये कारण बहुत बड़े हैं और ये विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक चेतावनी के रूप में है। जो भी अर्थव्यवस्था इसी प्रकार के निर्णय लेगी और स्वार्थ की राजनीति से अपना ही भला करेगी। उन सभी अर्थव्यव्स्थाओं की स्थिति एक समय पर ऐसी ही हो जाएगी। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में कुप्रबंधन था, जो कि महामारी के दौरान, आर्थिक संकट के रूप में सामने आया। इस वर्ष, भारत ने श्रीलंका को मुद्रा विनिमय, ऋण, खाद्य और ईंधन सहायता के रूप में 3।8 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि भेजी है। श्रीलंका का ऋण कई देशों, विशेष रूप से चीन, भारत और जापान के पास है। चीन के पास श्रीलंका का लगभग 10% कर्ज है, और इसे अक्सर "ऋण जाल कूटनीति" के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस संकट की जड़े सीधे सीधे पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार के कार्यों से जुड़ी हैं, जिनमें उनके भाई पूर्व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे शामिल हैं। आने वाले समय में श्रीलंका का राजनीतिक और आर्थिक भविष्य अनिश्चित है, लेकिन जो कोई भी कार्यभार संभालेगा उसके लिए महत्वपूर्ण समस्याएं हैं।

4 फरवरी 1948। 06।00 प्रात:, कोलम्बो
श्रीलंका की कुंडली मकर लग्न की कुंडली है, श्रीलंका की जन्मराशि वॄश्चिक राशि है। इस समय राहु महादशा में गुरु की अंतर्द्शा अक्तूबर 2023 तक प्रभावी है। आईये अब एक नजर कुंडली में बन रहे योगों पर डालते है। - लग्न भाव में अष्ट्मेश /छिद्रेश की उपस्थिति श्रीलंका के भविष्य के लिए प्रतिकूल फलदायक है। शनि की राशि में सूर्य यूं भी शुभ फल देने में असमर्थ होते हैं। लग्नेश शनि सप्तम भव में स्थित हों, लग्न भाव को दॄष्टि देकर शुभता प्रदान कर रहे हैं, परन्तु शनि यहां चंद्र की राशि में स्थित हैं अत: उनकी स्वयं की स्थिति बहुत शुभ नहीं है। जन्मपत्री में सूर्य राजा और सरकार का सूचक होता है। यहां सूर्य अष्टमेश है, और शत्रु राशि में हैं, इससे राजा राष्टहितों को स्वाहितों के लिए प्रयोग कर रहा है।

कुंडली में धन भाव में षश्ठेश व नवमेश बुध, योगकारक पंचमेश और दश्मेश शुक्र के साथ युति संबंध में है। शुक्र इस लग्न में योगकारक ग्रह तो हैं, परन्तु राशियांत में है। अत: बहुत बली स्थिति में नहीं है। राहु चतुर्थ भाव में है, चौथे का राहु राजनीति के लिए बहुत अच्छा फल नहीं देता है। शनि लग्नेश और धनेश है, सप्तम भाव में बैठकर नवम, लगन और चतुर्थ भाव को अपनी दृष्टि से प्रभावित कर रहे हैं। इस कुंडली की एक खास बात यह है कि केतु दशम भाव में शुक्र की राशि तुला में हैं और अपनी दृष्टि से तीनों अर्थ भाव को सक्रिय कर जोड़ रहे हैं। केतु का दूसरे, छ्ठे और दशम भव को एक साथ सक्रिय करना, अर्थ त्रिकोण का निर्माण कर रहा है। परन्तु यह अर्थ त्रिकोण केतु के द्वारा किया जा रहा है, यदि यह अर्थ त्रिकोण गुरु या राहु के द्वारा किया जाता तो श्रीलंका आज धन, धान्य से भरपूर रहता है।
अप्रैल 2022 से राहु इस कुंडली के चतुर्थ भाव और केतु दशम भाव पर गोचर कर रहा हैं।यहां यह भी कह सकते हैं, कि अप्रैल माह 2022 से राहु जन्म राहु पर और केतु जन्म केतु पर गोचर कर रहे हैं, और तभी से इस देश की आर्थिक स्थिति अधिक खराब होनी शुरु हुई है। दशम भाव पर जन्म केतु पर केतु के गोचर ने इस देश की हालत को खराब किया है। परन्तु हमें यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी घटना र्शनि के बिना घटित नहीं होती है।  

घटनाओं को घटित करने वाले काल कारक शनि भी अप्रैल माह से ही लग्न भाव से निकल कर धन भाव पर गोचर करने लगे हैं, और वहां से वे अपनी तीसरी दॄष्टि से जनता के भाव चतुर्थ भाव को पीडित कर रहे हैं।  यहां गोचर में राहु की स्थिति वैसे भी जनता के हितों की अवहेलना कर स्वार्थ सिद्धि दर्शा रही है। 12  जुलाई 2022 को शनि ने वक्री अवस्था में मकर राशि में वापसी की और 13 जुलाई 2022 को इनकी राष्टपति का इस्तीफा आ गया। शनि 2024 तक कुम्भ राशि में रहने वाले हैं बीच में मकर राशि में भी काफी लम्बे समय तक रहेंगे और फिर वापस कुम्भ में चले जायेंगे। शनि का कुम्भ और मकर राशि में गोचर इस लग्न के लिए आर्थिक पक्ष से बहुत सुखद नहीं है।

वर्तमान घटना पर यदि हम अन्तर्द्शा नाथ गुरु को देखते हैं तो पाते हैं कि- मकर लग्न के लिए  गुरु तॄतीयेश और द्वादशेश होने के कारण सबसे अशुभ ग्रह होते हैं। इस जन्म कुंडली में वर्तमान में गुरु की अंतर्द्शा चल रही हैं, और गुरु कुंडली के सबसे अशुभ ग्रह होकर आय भाव में नीचस्थ एवं मारकेश चंद्र के साथ स्थित है। गुरु धन और आर्थिक संसाधनों के कारक ग्रह होते हैं, उनका आय भाव में बैठना आय प्राप्ति को बाधित कर रहा है, इसलिए श्रीलंका 1948 से ही आर्थिक परेशानियों को झेल रहा है। अंतर्द्शा नाथ गुरु का एक नीच के ग्रह के साथ बैठना इस स्थिति को और भयावह बना रहा है। गुरु की अंतर्द्शा अक्तूबर 2023 तक रहने वाली है, उसके बाद ही श्रीलंका एक बार फिर से खड़ा हो पाएगा।