इस ब्रह्मांड में जो कुछ भी सुंदर हैं, वह सभी शुक्र के अधिकार क्षेत्र में हैं, फिर वह प्रेम हों, उपहार हों, फैशन, सुंदरता, अलंकरण हों या फिर कलात्मक वस्तुये....
ज्योतिष को वेदों का मूल कहा गया है। वैदिक ज्योतिष विद्या एक बड़े वट वॄक्ष के समान है। इसकी अनेक शाखाएं है। या यूं कहें कि एक नदी की अनेक धाराएं है, जिनका उद....
'गुरु बिन भवनिधि तरइ न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई ।।
तुलसीदास, रामचरित मानस
इसका अर्थ है कि गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर जीव संसार स....