15, Jul 2022

सौंदर्य ही नहीं शुक्र - दु:ख भी देता है

इस ब्रह्मांड में जो कुछ भी सुंदर हैं, वह सभी शुक्र के अधिकार क्षेत्र में हैं, फिर वह प्रेम हों, उपहार हों, फैशन, सुंदरता, अलंकरण हों या फिर कलात्मक वस्तुयें हों। सौंदर्य से संबंधित सभी वस्तुओं का प्रतिनिधित्व शुक्र ग्रह करता है। इस ब्रह्मांड में जो कुछ भी देखने योग्य हैं या जिसे देखने के बाद हमारे मुंह से अनायास यह निकल जाता है कि "कितनी सुंदर हैं/ या कितना सुंदर हैं" भले ही वो कोई लड़की हों या कोई फूल, सभी शुक्र ग्रह के अंतर्गत आते हैं। जन्मपत्री में शुक्र ग्रह बली हो तो जातक एक और भौतिक सुख-सुविधाओं से संपन्न होता है साथ ही उसका वित्तीय पक्ष भी मजबूत होता है।  इसका अर्थ यह हुआ कि धन/वित्त का एक दूसरे से प्रत्यक्ष संबंध है। शुक्र ग्रह प्रेम और सौंदर्य तो देता ही है, साथ ही वह धन भी देता है। धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी जी का दर्शन पूजन किया जाता है। यही कारण है कि शुक्रवार के दिन वैभक लक्ष्मी जी का व्रत किया जाता है। भोग विलास का जीवन व्यतीत करने के लिए धन का बहुतायत रूप में होना आवश्यक है। धन और सौंदर्य दोनों अनेक बार एक साथ देखे गए है।  वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह का स्थान दिया गया है। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि शुक्र प्रभाव से केवल स्त्रियां सुंदरता प्राप्त करती हैं, नहीं, ऐसा नहीं हैं, शुक्र समान रूप से स्त्री और पुरुष दोनों को प्रभावित करता है। जैसे यदि जन्मपत्री में मंगल बली हो तो जातक स्त्री हों या पुरुष दोनों को गुस्सा और आवेश देता है। ठीक इस्स प्रकार शुक्र बलवान होने पर उसका प्रभाव स्त्री हों या पुरुष दोनों में देखा जाता है।

शुक्र सौंदर्य का स्वामी ग्रह हैं, साथ ही वह संगीत, स्वादिष्ट खाना, इत्र, एक अच्छी शराब, कोई सुंदर पेटिंग्स सभी का कारक ग्रह शुक्र है। प्रकॄति का सौंदर्य भी शुक्र है। उसे देखने, पर्यटन, घूमने फिरने का मन शुक्र है। शुक्र प्रभाव से ही आप अपने प्रेमी को बहकाने का कार्य करते हैं। विचार कीजिए यदि शुक्र ग्रह को इस ब्रह्मांड से हटा दिया जाए तो यह दुनिया कितनी बदसूरत और रंगहीन हो जाएगी। निरस और उसर हो जाएगी। दुनिया की किसी वस्तु में आकर्षण नहीं रह जाएगा। शुक्र एक ऐसा ग्रह है जो आक्रामक न होकर, आकर्षण का कारकग्रह है। आक्रामकता मंगल को सौंप कर वो आकर्षक हो गया है। शुक्र प्रभाव से प्रेम परवान चढ़ता है और दो प्रेमी विवाह कर सुंदर जोड़ी के रूप में एक दूसरे को आजीवन के लिए अपनाते है। शुक्र का बल आकर्षण हैं, सौंदर्य है। शुक्र के दायरे में कुछ भी नैतिक और अनैतिक नहीं होता। शुक्र पर किसी भी अन्य ग्रह का प्रभाव न हो और शुक्र अपनी नीच राशि से दूर हो तो जातक शुद्ध स्नेह करता है, निश्चल और नैतिक। परन्तु ग्रह स्थिति इसके विपरीत होने पर परिणाम भी इसके विपरीत ही प्राप्त होते हैं।

शुक्र को विस्तार में जाने तो शुक्र केवल सौंदर्यप्रदाता नहीं है, अपितु शुक्र आनंदप्रदायक ग्रह है। अगर आपको जीवन में सुख, आनंद की अनूभूति होती है तो आपकी जन्मपत्री में शुक्र आपको सहयोग कर रहा है। राज सत्ता का आनंद सूर्य देता है, मंगल वीरता और साहसिक कार्यों में आनंद देता है। चंद्र भावुकता में आनंद देता है। बुध गाने बजाने में आनंद देता है। गुरु ज्ञान में आनंद देता है। शनि मेहनत के कार्यों में आनंद देता है। परन्तु यहां एक विरोधाभास भी है। शुक्र केवल सौंदर्य और आनंद ही नहीं देता वो उसके साथ ही दर्द भी देता है, जो अधिक सुंदरता के कारण होता है। जब हम किसी बाग में किसी फूल के पास जाते हैं तो हमें सुंदर फूल को देखने से आनंद की अनुभूति होती है। उसी फूल को जब हम छूने का प्रयास करते हैं तो फूल के साथ स्थित कांटा हमें दु:ख देता है। इसी प्रकार जब कोई स्त्री बहुत अधिक सुंदर होती है तो उसे देखने वालों की गंदी नजरों का सामना करने का दु:ख भी सहन करना पड़ता है। जीवन ऐसे ही कई उदाहरणॊं से भरा पड़ा है।

एक शांत नदी का जल चंद्र हैं तो उस जल पर सफेद चांदनी की किरणें शुक्र हैं जो नदी के सौंदर्य में अपनी किरणों से चार चांद लगा रही होती है।  मनुष्य के शरीर में शुक्र का स्थान जीभ और जनेन्द्रिय अंगों में है। क्योंकि व्यक्ति इन्हीं स्थानों से भौतिक सुखों के रस का स्वादन करता है। गोचर में शुक्र अस्त होने पर विवाह और शुभ कार्यों के मुहूर्त न होने के कारण सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं, जिसे सरल भाषा में तारा डूबना कहा जाता है।  इसी प्रकार जन्मपत्री में शुक्र अस्त हो तो जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय रहने की संभावनायें कम होती हैं, साथ ही अस्त शुक्र जातक को भौतिक सुखों से भी वंचित करता है। ऐसा व्यक्ति पुरुष हो तो उसमें वीर्य विकार पाए जाते हैं और यदि वो स्त्री हो तो उसमें कोमलता, लज्जा और स्त्रियोचित गुण की कमी पाई जाती है।

जन्मपत्री में अस्त शुक्र के साथ यदि सूर्य स्थित हो तो संतान प्राप्ति बहुत मुश्किल से हो पाती है। बार बार गर्भपात होते हैं। स्त्री की कुंडली में शुक्र और मंगल की युति होने पर उसका अपने जीवन साथी से लगातार झगड़े होते रहते हैं और दोनों का साथ एक तनाव से अधिक कुछ नहीं होता। शुक्र को दैत्यों के गुरु की उपाधि दी गई है। वह रजोगुणी शुभ ग्रह है।  शुक्र की राहु जैसे अशुभ ग्रह के साथ युति हो तो जातक दशा / अन्तर्द्शा में पागलों की जैसी हरकतें करता है। उसके दिमाग में वहम, भ्रम, व्यर्थ की बातें जन्म लेती है, जिन्हें सच मानकर वो अपने रिश्ते खराब कर लेता है। शुक्र की धातु यूं तो चांदी है, परन्तु जिस भी धातु पर कलात्मक नक्काशी की गई, हों वो शुक्र की कही जा सकती है। शुक्र मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीचस्थ होता है। शुक्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए चावल का तुलादान करना चाहिए।